एक अरसा हुआ
दिल की बात
पन्नों पे बिखेरे हुए
दिन निकल गए
रातें गुज़र गईं
कुछ लिखा जाए?
दिल में क्या है
ज़ुबान पे क्या
क़लम जो उठाओगे
तभी तो जानोगे ?
चलो तो फिर
कुछ लिखा जाए
शब्दों का जाल
बिछाया जाए
कुछ उधर से
कुछ इधर से
नज़्मों का साज़
आज फिर छेड़ा जाये…
- गुन्जन
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