Tuesday, September 22, 2015

सोचा न था !!


ये फ़िक्र के साये 
ज़िन्दगी को इस क़दर 
आधा कर देंगे 
कभी सोचा न था 
यूँ हरदम 
धुप का चश्मा 
लगाये फिरते हैं
दिल ओ दिमाग से 
ये ओझल नहीं होंगे 
कभी सोचा ना था 
एक पल जो जुदा हो 
तो कुछ लम्हे 
जी लूँ मैं भी 
वरना यूँ ता-उम्र 
घुट घुट के रहना होगा  
कभी सोचा न था 


                                       गुन्जन 

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