जाएं कहां ढूंढे उसे जो खोया है ज़हन से हमारी,
Ittlah करी है अभी दिल को शायद मोहब्बत ही ढूंढ लाए तुम्हारी।।
कुछ लोग मिले थे आज शहर में
पूछ रहे थे हाल क्या है तुम्हारा
दिल की खिड़कियां तो बंद हैं काफी अरसे से
हमने मुस्कुरा के बस कर दिया इशारा
कहना तो चाहते थे कि क्यूं पूछते हो हाल हमारा
जब ताल्लुक़ तोड़ दिया मोहब्बत से हमारा।।
रहने दो तुम ना करो तंग नज़्म को हमारी
सूरत ए हाल अभी कुछ ठीक नहीं है।
ये बात और है हम जताते नहीं अब
काश तुमने रोका ना होता हमको तब
ये को हल्की हल्की सी कसक थी ना पहले
वो बदल गई दर्मियां दूरी में हमारी
अब तो ना याद है ना नशा है
किसी भी बात पर ना कोई खफा है।।
खोज ही रहे हैं हम भी दूरियों का सबब
इश्क़ तो वहीं है शायद रुख बदल गया अब।।
ना पूछो ये हाल ए दिल
बहुत तरसा हुआ है
एक बारिश का इंतजार है
जो की खुद भीगा हुआ है
आसमान में हजार तारे हैं
शायद कोई टूटा हुआ सितारा हमसे रूठा हुआ है।।
शायद बहुत तेज़ कोई चोट लगी है
टुकड़े समेट रहे को शीशे के बिखरे हुए
हमारा तो फूल सा था दिल
ये पत्थर का हिस्सा शायद अभी जुड़ा है।।
खुशी या गम ये तो अफसाने हैं
बातें नई और किस्से पुराने हैं
चार दोस्तों की आगोश का नशा है
वरना फलक को कौन छू सके है।।
सोच लो तुम सह नहीं पाओगे
सैलाब है दर्द का सीने में हमारे
एक कश्ती बना दूं अल्फाजों कि पहले
जिसके सहारे शायद तुम संभल जाओगे।।
ये को आधी अधूरी सी हंसी है ना
बहुत मेहनत से लगाई है हमने
तुम जो कहते हो की मुस्कुरा दो थोड़ा
बस वहीं चुपचाप से सजा देते हैं।।
कोई भी लम्हा नहीं जब जुस्तजू नहीं है तुम्हारी
आइना गवाह है आंखों का हमारी
कोई शाम नहीं जाती जब आरज़ू नहीं होती
वक़्त कुछ कम सा है ख्वाहिशें पूरी नहीं होती।।
हमने एक जाम पिया तो नज़रों में तुम छा गए
हमने रोकर बहा दिया तो गालो को तुम सहला गए
अब होंठों तक ना आना सह ना पाएंगे
जुस्तजू तुम्हारी ज़हर सी है पी ना पाएंगे
इस लम्हे को यहीं रुक दो बस अभी
आगे से रूमाल हम ज़रूर साथ लाएंगे।।
Ittlah करी है अभी दिल को शायद मोहब्बत ही ढूंढ लाए तुम्हारी।।
कुछ लोग मिले थे आज शहर में
पूछ रहे थे हाल क्या है तुम्हारा
दिल की खिड़कियां तो बंद हैं काफी अरसे से
हमने मुस्कुरा के बस कर दिया इशारा
कहना तो चाहते थे कि क्यूं पूछते हो हाल हमारा
जब ताल्लुक़ तोड़ दिया मोहब्बत से हमारा।।
रहने दो तुम ना करो तंग नज़्म को हमारी
सूरत ए हाल अभी कुछ ठीक नहीं है।
ये बात और है हम जताते नहीं अब
काश तुमने रोका ना होता हमको तब
ये को हल्की हल्की सी कसक थी ना पहले
वो बदल गई दर्मियां दूरी में हमारी
अब तो ना याद है ना नशा है
किसी भी बात पर ना कोई खफा है।।
खोज ही रहे हैं हम भी दूरियों का सबब
इश्क़ तो वहीं है शायद रुख बदल गया अब।।
ना पूछो ये हाल ए दिल
बहुत तरसा हुआ है
एक बारिश का इंतजार है
जो की खुद भीगा हुआ है
आसमान में हजार तारे हैं
शायद कोई टूटा हुआ सितारा हमसे रूठा हुआ है।।
शायद बहुत तेज़ कोई चोट लगी है
टुकड़े समेट रहे को शीशे के बिखरे हुए
हमारा तो फूल सा था दिल
ये पत्थर का हिस्सा शायद अभी जुड़ा है।।
खुशी या गम ये तो अफसाने हैं
बातें नई और किस्से पुराने हैं
चार दोस्तों की आगोश का नशा है
वरना फलक को कौन छू सके है।।
सोच लो तुम सह नहीं पाओगे
सैलाब है दर्द का सीने में हमारे
एक कश्ती बना दूं अल्फाजों कि पहले
जिसके सहारे शायद तुम संभल जाओगे।।
ये को आधी अधूरी सी हंसी है ना
बहुत मेहनत से लगाई है हमने
तुम जो कहते हो की मुस्कुरा दो थोड़ा
बस वहीं चुपचाप से सजा देते हैं।।
कोई भी लम्हा नहीं जब जुस्तजू नहीं है तुम्हारी
आइना गवाह है आंखों का हमारी
कोई शाम नहीं जाती जब आरज़ू नहीं होती
वक़्त कुछ कम सा है ख्वाहिशें पूरी नहीं होती।।
हमने एक जाम पिया तो नज़रों में तुम छा गए
हमने रोकर बहा दिया तो गालो को तुम सहला गए
अब होंठों तक ना आना सह ना पाएंगे
जुस्तजू तुम्हारी ज़हर सी है पी ना पाएंगे
इस लम्हे को यहीं रुक दो बस अभी
आगे से रूमाल हम ज़रूर साथ लाएंगे।।