ये फ़िक्र के साये
ज़िन्दगी को इस क़दर
आधा कर देंगे
कभी सोचा न था
यूँ हरदम
धुप का चश्मा
लगाये फिरते हैं
दिल ओ दिमाग से
ये ओझल नहीं होंगे
कभी सोचा ना था
एक पल जो जुदा हो
तो कुछ लम्हे
जी लूँ मैं भी
वरना यूँ ता-उम्र
घुट घुट के रहना होगा
कभी सोचा न था
गुन्जन