बहोत मुश्किलों से एक तितली हाथों पर बिठाई थी
बादलों ने जब पंख लगाये, तो उसे भी साथ उड़ा ले गई
=============================
उँगलियों के सिरों से बुनी थी ये मखमली सपनों की चादर
दोपहर की तपिश से बचने के काम भी न आ सकी
- श्वेतिमा
Khamoshiyon ki beech yaaron ki sargoshiyan, masroofiyat se nikaal ke laai hain shairiyan...