क्यों ताल्लुक है तुम्हारा इसतरह दर्द से
इसकदर मदहोशी क्यों छाई है
क्यों धुंदली सी चादर आँखों में समाई है
उन्हें जवाब नही दे पाते , बस कह देते हैं
जो बेइन्तेहाई का सैलाब दिलभरकर रखा है
उसके ही कुछ छींटे हैं
जो अक्सर रूह को भिगो जाते हैं
-- श्वेतिमा
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