अक्सर मैंने वक़्त चलते देखा है,
घडी की सुईयों को ख्वाब बुनते देखा है,
मन्ज़िल बदलती है हर पल उसकी,
अपनी हर मन्ज़िल से आगे बढ़ते देखा है।
जीवन का फलसफा भी अजीब है,
ख़ुशी मिले तो वक़्त थामने की बात करते हैं,
इस मतलबी दुनिया में अक्सर मैंने,
ग़म को हरपल हमपे हसते देखा है।
-गुन्जन
Kya baat hai...bahut badiya likha hai
ReplyDeleteKya baat hai...bahut badiya likha hai
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