Friday, July 3, 2015

हमसफ़र..



मंज़िल दूर नहीं है,
तेरे आस-पास होने के आसार जो मिल गए हैं!

तू मंज़िल है, सफर पर नज़र है,
साथ मिल जाए तेरा, तो किसकी फिर फ़िक़र है!

ज़माने का डर ना रुसवाई की शिकन है,
तू जैसा है जो भी है, सबसे जिगर है!

हर तरफ ख़ुशी है ना कोई ग़म है,
कि ये बस तुम्हारे साथ का असर है!

मंज़िल की ना रास्तों की फ़िक़र है,
शब-ओ-सहर ना मौसमों की फ़िक़र है,
धूप भी चाँदी, रात भी रोशनी,
क्युंकि! तु हमसफ़र है
क्युंकि! तु हमसफ़र है

हमसफ़र हमराही मिल गया,
कश्ती को किनारा मिल गया,
तू जो सामने दिखा मुझे,
मेरी अधूरी ख़्वाहिशों को सहारा मिल गया!


            - गुन्जन, हुमा, ज्योत्स्ना, श्वेतिमा 


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