Thursday, July 23, 2015

पानी के बुलबुले..



खुशमिजाज़ रहते हैं,
ये पानी के बुलबुले,
ज़रा से स्पर्श से ही,
खिलखिला उठते हैं,
प्यार की थपकी दो तो,
जैसे नाच ही उठते हैं,
मालिक अपनी ज़िन्दगी के,
ये खुद ही होते हैं,
मन चाही उड़ान,
ये गगन में भरते हैं,
पकड़म पकड़ाई हमसे,
ये खेला करते हैं,
हाथ में हमारे,
ना ये आया करते हैं,
रंगो में कुछ लिपटकर,
करवट लिया करते हैं,
हलकी सी फूक से ही,
दूर उड़ान भरते हैं!!

काश ये ज़िन्दगी होती,
पानी के बुलबुलों जैसी,
जो ग़म की बरसात भी होती,
तो आँसुओं को धो देती,
मेरी हर ख्वाहिश को,
एक रास्ता मुकर देती!!

             - गुन्जन 


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