… कभी कभी सोचती हूँ
हर दिन पलटतेह ज़िन्दगी के पन्ने , एक किताब सी बनती है
बहुत कुछ है बताने को , बहुत यादें सिमटती हैं इसमें
कोई हमराही नही होता लेकिन ,
साथ जताने को....
-- श्वेतिमा
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