Tuesday, June 30, 2015

ज़िन्दगी


बचपन की बातें अब किस्से कहानियां सी लगती हैं … 
… कभी कभी सोचती हूँ 
हर दिन पलटतेह ज़िन्दगी के पन्ने , एक किताब सी बनती है 

बहुत कुछ है बताने को , बहुत यादें सिमटती हैं इसमें 
कोई हमराही नही होता लेकिन ,
साथ जताने को.... 

                                                              -- श्वेतिमा 


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