Khamoshiyon ki beech yaaron ki sargoshiyan, masroofiyat se nikaal ke laai hain shairiyan...
Sunday, June 28, 2015
मौसम
सौन्दी सौन्दी गीली मिटटी की खुशबु है पत्तियों में भीगे योवन की मुस्कराहट पानी में बनते बुलबुलें और टपकती बूदों की साज़..... बादलों को चीरती ये बिजलियों की गरगराहट और इन ठंडी हवाओं की प्यारी थपकियाँ आज सब छोड़ कर ऐ रही, चल जियें वो बचपन के सारे जज़्बात..... -- श्वेतिमा
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